MAHADEVI VARMA
Saturday, June 6, 2015
सन्धिनी
बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ !
नींद धी मेरी अचल निस्पन्द कण -कण में ,
प्रथम जागृति थी जगत के प्रथम स्पन्दन में ;
प्रलय में मेरा पता पदचिह्न जीवन में ,
शाप हूँ जो बन गया वरदान बन्धन में ;
कूल भी हूँ कुलहीन प्रवाहिनी भी हूँ !
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